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केदारनाथ यात्रा: धूल, धुएं, बाजार, बुलडोजर और कारोबार का दर्शन
भारत या दुनिया के किसी भी पर्यटन स्थल की ख़ूबसूरती उसकी मौलिकता में होती है। वो जैसे हैं वैसे ही बने रहें। जब हर जगह बाज़ार घुसेगा, हर खूबसूरत जगह का बाज़ारीकरण होगा तो कितने दिन बचे रह पाएँगे ये नदी-पहाड़, ये झील-झरने, ये समंदर और उसकी मौलिकता।
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राजस्थान विधानसभा द्वारा पारित धर्मांतरण विरोधी विधेयक की PUCL द्वारा निंदा
यह विधेयक विपक्ष की अनुपस्थिति में बीना किसी चर्चा के पारित किया गया है। इतने महत्वपूर्ण विधेयक, जो संवैधानिक अधिकारों को प्रभावित करता है, को बिना बहस के जल्दबाजी में पारित करना विधानसभा अध्यक्ष की अलोकतांत्रिक कार्यशैली को दर्शाता है।
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नेपाल: इतिहास का पहिया पीछे न जाए, सतर्क रहने की जरूरत!
इस आन्दोलन का संचालन कौन लोग कर रहे थे, इसकी जानकारी अब धीरे धीरे सामने आ रही है. मुख्य किरदारों में हैं–बालेन्द्र (बालेन) शाह जो काठमांडू का मेयर है और सुदन गुरुंग जो ‘हामी नेपाल’ नामक एनजीओ का संचालक है. टाइम पत्रिका के 2023 के टाप 100 लोगों में बालेन शाह का नाम है. सुदन गुरुंग के ‘हामी नेपाल’ नामक एनजीओ को कुछ अमेरिकी कंपनियों से करोड़ों रूपये की वित्तीय सहायता मिली है.
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हाथियों की लड़ाई : सलीम हिंदुस्तान का शहंशाह कैसे बना
राजनीतिक संघर्षों के बीच पारिवारिक राजनीति और परिवार में अंदरखाने होने वाले संघर्षों को दर्शाती यह कहानी आज के वक्त में मुग़लों पर नए सिरे से शुरू हुई बहस में बेहद फायदेमंद साबित होगी।
COLUMN
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विश्व पर्यावरण दिवस : हिमालयी पारिस्थितिकी और प्लास्टिक का प्रदूषण
भारत के पारिस्थितिकी संवेदनशील हिमालय क्षेत्र में प्लास्टिक प्रदूषण का संकट दिन प्रतिदिन गंभीर होता जा रहा है। नाज़ुक और संवेदी पहाड़ों पर 80 फ़ीसद से अधिक प्लास्टिक कचरा सिंगल यूज खाद्य और पेय पैकिंग से उत्पन्न हो रहा है। चिंताजनक यह है कि इस कचरे में 70 फीसद तो वह प्लास्टिक है जिसे न तो रीसायकल किया जा सकता है और न ही इसका कोई बाज़ार मूल्य है।
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दिल्ली : ख़्वाजा अहमद अब्बास के एक ख़त के बहाने, जवाहर भवन में गूंजे आज़ादी के तराने
उल्लेखनीय है कि इप्टा की इंदौर इकाई की प्रस्तुति इसके पहले 1950 के दशक में दिल्ली में हुई थी जिसमें तब के युवा इप्टा कलाकार नरहरि पटेल, प्रोफ़ेसर मिश्रराज आदि शामिल हुए थे। इस बार नाटक का आकल्पन जया मेहता ने किया और इसकी पटकथा प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय महासचिव, कवि, पत्रकार और रंगकर्मी विनीत तिवारी लिखी। सुप्रसिद्ध अभिनेत्री और निर्देशक फ्लोरा बोस के कुशल के निर्देशन में इंदौर इप्टा के रंगकर्मियों ने अपने सहज सजीव अभिनय से इस नाटक को यादगार बना दिया।
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औरत की मेहनत पर टिकी दुनिया, पर हक़ कहाँ है?
इतिहास की धारा को बदलने का काम सिर्फ राजा-महाराजा नहीं करते, बल्कि संघर्ष करने वाली औरतें भी करती हैं, लेकिन उनका इतिहास अब तक लिखा नहीं गया है। अगर इतिहास को सचमुच पूरा लिखना है तो उसमें किरण देवी जैसी औरतों की कहानियाँ भी शामिल करनी होंगी क्योंकि औरत का संघर्ष हाशिए पर नहीं, बल्कि इतिहास के केंद्र में होना चाहिए।