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हरियाणा: आधी सीटों पर प्रत्याशी बदलना क्या भाजपा के संकट को दिखलाता है?

भाजपा के लिए अबकी बार हरियाणा में चुनौतियां गंभीर हो गई हैं। मनोहर लाल खट्टर के मुख्यमंत्री काल के लाभ को करनाल में भाजपा भुना कर सीट को अपने खाते में लाना चाहती है। यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं कि एक एक सीट भाजपा के लिए जीत सुनिश्चित करने के लिए कितनी महत्वपूर्ण हो गई है।

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इस्माइल शाम्मूत की पेंटिंग

इजराइल के ज़ुल्मों के खिलाफ फिलिस्तीन की खुशहाली के ख्वाब

प्रलेसं इकाई अध्यक्ष डॉ जाकिर हुसैन ने कहा कि इजरायल द्वारा बड़े पैमाने पर महिलाओं, बच्चों की हत्या की गई है। यूरोपीय देशों का दोगलापन सामने आया है। एक तरफ वे ग़जा में खैरात बांट रहे हैं दूसरी तरफ इजराइल को नित नए शास्त्र देकर फिलिस्तीनियों के कत्लेआम में मदद कर रहे हैं। भारत सदैव फिलिस्तीन की जनता के पक्ष में रहा है लेकिन वर्तमान सरकार इजराइल के साथ खड़ी है।

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भाजपा के दस फीसद वोट बढ़ने का दावा कर के गृहमंत्री क्या देश को डराना चाह रहे हैं?

भाजपा को 2019 के मुकाबले दस प्रतिशत अधिक मत मिलने का मतलब यही होगा कि 2024 के चुनावों में विपक्ष डेढ़ सौ से भी कम सीटों पर सिमट जाएगा। अमित शाह जो कह रहे हैं अगर वही सत्य है तो यह अभी से मान लेना चाहिए कि 2029 के चुनावों के बाद तो संसद पूरी तरह से विपक्षमुक्त हो जाएगी और एक पार्टी की हुकूमत देश पर क़ाबिज़ हो जाएगी। क्या यह ‘मुमकिन’ हो पाएगा?

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बसु-रमण की धरती पर अंधश्रद्धा और वैज्ञानिक मिज़ाज पर कुछ बातें

पश्चिम के अकादमिक गढ़ों में बैठे उपनिवेशवाद के ये आलोचक और उत्तर-औपनिवेशिकता के ये सिद्धान्तकार निश्चित ही पश्चिमी समाजों को अधिक सभ्य, अधिक जनतांत्रिक और अधिक बहुसांस्कृतिक बनाने में योगदान कर रहे हैं, लेकिन पश्चिम के पास तो पहले से ही विज्ञान और आधुनिकता है, वह पहले ही आगे बढ़ चुका है। इस सब में हम पूरब वालों के लिए क्या है? गरीबी और अंधश्रद्धा के दलदल से हमें अपना रास्ता किस तरह निकालना है? अपने लिए हमें किस तरह के भविष्य की कल्पना करनी है?

COLUMN

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मणिपुर डायरी: हेड हंटर की वापसी और पूर्वोत्तर में औरतों की आजादी का मिथ

दूसरी जनजाति से प्रेमसंबंध और विवाह को हतोत्साहित किया जाता है, लेकिन अगर किसी ने प्रेम किया है और उसे जाहिर करता है तो उसे कतई रोका नहीं जाता है। अत: जनजातीय विवाह खूब होते हैं और कोई जनजाति इन्हें प्रतिबंधित नहीं करती। मैतेइ और कुकियों के बीच भी ऐसे विवाह काफी हुए हैं, लेकिन इतिहास बताता है कि इन आजादियों का उस समय कोई मूल्य नहीं रह जाता, जब इनके बीच आपसी संघर्ष होता है।

Review

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पोन्नीलन के उपन्यास ‘करिसल’ के अंग्रेजी अनुवाद का लोकार्पण उर्फ साहित्य का ‘भारत जोड़ो’ समारोह

उपन्यास में आंदोलन का वर्णन ऐसे है जैसे जमीन से अनाज पैदा होता है, वैसे ही शोषण से जनआंदोलन पैदा हो रहा है, आंदोलन के नेता पैदा हो रहे हैं, लेखक पैदा हो रहा। उपन्यासकार मामूली इंसानी जिंदगियों को, उनके अभावग्रस्त जीवन को, इस जीवन के खिलाफ संघर्ष को करुणा के माध्यम से उसके उदात्त स्वरूप तक ले जाता है।

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